आज पहला नवरात्रा
माता, बहन, पुत्री, भतीजी, भांजी, पत्नी, भाभी, ननद, सास आदि न जाने कितने रूप होते हैं पर समाजिक तौर पर अभी भी मात्र भोग की वस्तु मात्र है।
क्या परम्पराओ को बदलना और स्त्री जाति को सम्मान देना जायज नही है? अपने आप से सवाल करे और सम्मान दे