ये भाई साब तो “दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा” से एक डिग्री आगे निकल गये। अरे भाई, सुसाइडल मत बनो। सत्ता के साथ नहीं, जनता के साथ रहो। जनता के साथ रहोगे, तो संघर्ष में भी मज़ा आएगा और जीत में भी। सुबह का भूला शाम को घर लौट आता है, उसे भूला नहीं कहते। मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ है।
@avinashonly
ये क्या बकवास कर रहा है सुधीर चौधरी, पत्रकारिता छोड़ने के लिए पत्रकार होना जरूरी है, इसको लिखना चाहिए, दलाली छोड़ने का समय आ गया है? क्या ग़ुलामी छोड़ने का समय आ गया है? क्या सरकार की चाटने छोड़ने का समय आ चुका है? 🤣🤣🤣🤣🤣🤣
ये भाई साब तो “दिल ऐसा किसी ने मेरा तोड़ा” से एक डिग्री आगे निकल गये। अरे भाई, सुसाइडल मत बनो। सत्ता के साथ नहीं, जनता के साथ रहो। जनता के साथ रहोगे, तो संघर्ष में भी मज़ा आएगा और जीत में भी। सुबह का भूला शाम को घर लौट आता है, उसे भूला नहीं कहते। मेरी शुभकामनाएं तुम्हारे साथ है।