Rajinder Kumar (मातृ भूमि🇮🇳 मां से पहले)
2 years
तमाम, रास्ते थे, फिर भी।
उसके वास्ते थे, फिर भी।।
गई शाम, और रात आ गई।
ख्वाब, हादसे थे, फिर भी।।
आंखों से ओझल न हो सके।
इश्क से, भागते थे फिर भी।।
ओस फिर, फूलों पे टपकेगी।
आसमां, ताकते थे फिर भी।।
दर्द तो, मोहब्बत का ईनाम है।
मुस्कुराहटें, बांटते थे फिर भी।।
#राजेंद्रराज ✍