वो अब तिजारती पहलू निकाल लेता है,
मैं कुछ कहूँ तो तराज़ू निकाल लेता है..
वो फूल तोड़े हमें कोई ए'तिराज़ नहीं
मगर वो तोड़ के, ख़ुशबू निकाल लेता है..
मैं इस लिए भी तिरे फ़न की क़द्र करता हूँ,
तू झूट बोल के आँसू निकाल लेता है..
#अहमद_कमाल_परवाज़ी
#विश्व_रंगमंच_दिवस
#लेखनी ✍️