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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ

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@tukabandee
तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
2 years
जो जात–पात को मानते हैं, वे दलितों–अल्पसंख्यकों को कीड़े–मकोड़े समझते हैं, उन लोगों को मैंने बताया कि मैं इन्सान हूँ, अगर हमें तुम मारोगे तो हम भी चुप नहीं बैठेंगे: फूलन देवी वीरांगना फूलन देवी जी की पुण्यतिथि पर सादर नमन!
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
7 months
वर्ल्ड कप के दौरान ये मार्मिक दृश्य किसी का भी दिल पिघला सकती है। आशा भोंसले जी जब चाय पी चुकी थी तब वे कप रखने के लिए जा रही थी तभी शाहरूख ने उन्हें कहा माँ जी लाइए मैं कप रखा देता हूँ। यूँ ही नहीं एस.आर.के को दुनिया का बेताज़ बादशाह कहते है। शाहरुख में पूरा हिन्दुस्तान बसता है।
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
मैंने एक उम्र खर्च की है तुम पर तुम मेरा कीमती असासा हो।
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
6 months
नाम गुम जाएगा चेहरा ये बदल जाएगा।
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6 months
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
सभी को छोड़ के खुद पर भरोसा कर लिया मैंने वो मैं जो मुझमें मरने को था जिन्दा कर लिया मैंने। ~ वसीम बरेलवी
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
ना मोहब्बत ना दोस्ती के लिए वक्त रुकता नहीं किसी के लिए अपने दिल को ना दुःख दे यूँही इस जमाने के बेरुखी के लिए वक्त के साथ-साथ चलता रहें यहीं बेहतर हैं आदमी के लिए। लेखक: सुदर्शन फ़ाकिर
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
2 years
मुझे लगता है पिता पर लिखी जा सकती है लम्बी कविता रामायण–महाभारत से लम्बी पृथ्वी की परिधि से भी आसमान से ऊँची। ~ भास्कर चौधुरी
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
दिल न–उम्मीद तो नही नाकाम ही तो है‚ लम्बी है गम की शाम मगर शाम ही तो है : फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
हज़ार इश्क़ करो लेकिन इतना ध्यान रहे कि तुम को पहली मोहब्बत की बद्दुआ न लगे। ~ अब्बास ताबिश
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1 year
आप दुनिया की तमाम औरतों को बुर्का पहना दें। फिर भी हिसाब आपको अपनी आँखों का देना होगा : सआदत हसन मन्टो
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया हर फिक्र के धुएँ में उड़ाता चला गया। ~ साहिर लुधियानवी
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2 years
ट्रेन में यात्रा करते हुए कुछ लोग मिलते हैं जो हिन्दू–मुस्लिम नहीं करते ये लोग लड़के–लड़कियों में भेदभाव नहीं करते दहेज़ भी नहीं लेते यात्रा समाप्त होती है मैं ट्रेन से उतर कर घर आ जाता हूँ वे लोग मुझे फिर कभी नहीं दिखते शायद वे सिर्फ यात्राएँ करते हैं। लेखक: @sanjiiv_singh
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2 years
अपना पेट भरने के लिए अपनी ज़ुबान के स्वाद के लिए किसी पर ज़ुल्म करने से अच्छा यही है कि भूखे ही रह लो किसी को मार के ही अगर पेट भरता हो तो इससे तो अच्छा है कि मर ही जाओ। ~ आचार्य प्रशान्त/ @Advait_Prashant
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
7 months
ना धोनी और कोहली जैसा पीआर है और ना ही सूर्य कुमार यादव और कुलदीप यादव जैसा जन समर्थन। मालूम नही इतिहास इस शानदार पारी को कैसे याद रखेगा? या हमेशा की तरह ये भी अंडररेटेड पारी घोषित कर दिया जाएगा इतिहास के पन्नो में।
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
2 years
रो लो पुरुषो जी भर के रो लो ताकि तुम जान सको कि छाती पर से पत्थर का हटना क्या होता है। ~ पल्लवी त्रिवेदी
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
मोहब्बत में अब तक मरी तो नही हूँ मगर अब तू ज़िन्दा भी मत मार मुझको। ~ सपना मूलचन्दानी
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
2 years
अपने ख़िलाफ़ जंग लगातार गर्म रहे हथियार डाल मत देना बहुत इच्छा उठेगी सोते रहने की तुम जगे रहना। ~ अचार्य प्रशान्त/ @Advait_Prashant
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2 years
– रस्किन बॉन्ड
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
जो अपने–आप को समझ रहा है कि मैं हूँ करने वाला वो असल में है ही नहीं करने वाला या तो सत्य है या संस्कार या तो कृष्ण या तो माया तुम हो कहाँ ? ~ आचार्य प्रशान्त/ @Advait_Prashant
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
सावन के रंग सी लड़की‚ पतझड़ में कहीं फंसी हुई है : आकांक्षा सिंह
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7 months
यदि आप कॉकरोच को मारते हैं तो आप नायक हैं यदि आप तितली को मारते हैं तो आप बुरे हैं। नैतिकता के सौंदर्य मानक होते हैं। — फ्रेडरिक नीत्शे
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
स्त्री की गोद में पुरुष का सर मानो जैसे धरती के आवरण में चाँद सुस्ताता हुआ: रचना श्रीवास्तव
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
2 years
हम बनाने वाले के नहीं होते हम उसके होते हैं जिससे हम बने हैं जैसे ये मेघ आकाश के नहीं हैं नदियों के हैं जैसे संसार के सारे सुन्दर चित्र किसी चित्रकार के नहीं हैं रंगों के हैं। ~ पायल/ @456_payal
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8 months
सरदार बिशन सिंह बेदी जी नही रहें... श्रद्धांजलि! #bishensinghbedi 🌸🙏🏼
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
बाल काटना नाई का धर्म नही धंधा है चमड़े की सिलाई करना मोची का धर्म नही धंधा है इसी तरह पूजा–पाठ करना करवाना ब्राह्मण का धर्म नही धंधा है। ~ ज्योतिबा फूले #जयंती 💙✊🏾
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1 year
किसी में पूछा शहर कैसे बनता है? मैंने कहा बड़े सलीके से गाँव लूटा जाता है: सन्दीप द्विवेदी
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1 year
समन्दर उल्टा सीधा बोलता है सलीके से तो प्यासा बोलता है। ~ फ़हमी बदायूनी
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तुकबन्दी आपकी ज़ुबाँ
1 year
ठीक है मैं फेर लेता हूँ नज़र को तुम भी झुमकों से कहो गर्दन ना चूमे। @neerajthepoet
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2 years
मैं तुमसे बात किया करता हूँ और यही मेरी कविता है। ~ त्रिलोचन
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1 year
मेरी ओर आशा से तकते हो मुस्कुराते हो तुम कभी उँगली रख एक को चुनते हो कभी दूसरी तुम चाहते हो मैं एक एक कर मुट्ठियाँ खोलूँ डरती हूँ मैं मेरी दोनों मुट्ठियों में दुःख है। ~ पायल/ @456_payal
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9 months
हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ! ♥️
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राजा बोला ‘रात’ है... 🌉 🌃
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हम उस नाव के दो यात्री थे...⛵
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अच्छाई हर जगह है... @456_payal 🌄⛩️
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2 years
कुछ लड़कियाँ गाँव सी होती हैं जिसमें बसता है प्रेम कुछ लड़के शहर से होते हैं जिसमें भागती है ज़िम्मेदारियाँ। ~ दीक्षा जायसवाल/ @divisha_jaiswal
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उम्र निकाल दी... 👨‍🦯
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2 years
उसे लगता है मैं उससे कुछ नहीं माँगती पर मेरी माँगें सदैव कठिन रहीं मैंने माँगा गुलाब के मौसम में गुड़हल व्यस्ततम समय में एक मुलाक़ात उदास वक्त में एक तस्वीर और ज़िन्दगी भर का साथ। ~ अर्चना अनिरुद्ध/ @archana_anirudh
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2 years
हमारा हाल तुम भी पूछते हो तुम्हें मालूम होना चाहिए था। ~ फ़हमी बदायूनी
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ये पढ़िए! 💯
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शमीफाइनल! 👑 💚
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साइकल से चाँद तक!🚀🇮🇳 कुछ चन्द पंक्तियाँ लिखिए।
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9 months
स्वतंत्रता आंदोलन के समय देशभक्ति से ओतप्रोत ‘वीर रस’ से अपनी ओजस्वी रचनाओं के माध्यम से जनमानस में राष्ट्रप्रेम एवं क्रांति की अलख जगाने वाले राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की जयंती पर कोटि–कोटि नमन।
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7 months
ये गाना जो दोनों ने बनाया है ये भी अपनों का है। अपने घर वालों का है अपनी मिट्टी का है अपने देश की बाहों में सुकून मिलने का है। हम सब कभी ना कभी अपने घर से गाँव से शहर से दूर निकल जाते हैं ज़िंदगी बनाने के लिए। लेकिन दिल हमारा अपने घरों में ही रहता है देश में ही रहता है।
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हम जिसे गाँव में मिट्टी कहते हैं शहर में उसे धूल कहते हैं। ~ निलोत्पल मृणाल/ @authornilotpal
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1 year
मेरा इक दर्द कहीं गिरवी है कोई उसका जवाब ले आओ नींद तो आने से रही हमपे जाओ कोई ख़्वाब वाब ले आओ। ~ रितेश रजवाड़ा/ @riteshrajwada
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1 year
तू भी मेरे मुताबिक कब मुझे दु:ख दे पाया किसने भरना था यह पैमाना अगर खाली था एक दु:ख यह कि तू मिलने नही आया मुझसे एक दुःख ये है उस दिन मेरा घर खाली था। ~ तहज़ीब हाफ़ी
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8 months
तुम्हें पोएट्री इतनी क्यों पसन्द है?
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पढ़ाई चल रही है ज़िन्दगी की अभी उतरा नहीं बस्ता हमारा। – शारिक़ कैफ़ी/ @KaifiShariq
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2 years
स्त्री–पुरुष का सम्बन्ध न���ी और समुद्र की तरह है पता नहीं नदियों ने अपना अस्तित्व ख़ाक कर दिया समुद्र को बनाने में या समुद्र ने समेट लिया नदियों के दुखों को ख़ुद में। ~ अर्चना अनिरुद्ध/ @archana_anirudh
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जन्मदिन मुबारक जावेद अख़्तर साहब! 🌻❤️ #javedakhtar @Javedakhtarjadu
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शिक्षा का कम से कम इतना प्रभाव होना चाहिए कि धार्मिक विषयों में हम मूर्खों की प्रसन्नता को प्रधान न समझें। ~ मुंशी प्रेमचन्द
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कुशल तैराक लहरों से लड़ता नहीं उन पर तैरता है। ~ कुँवर नारायण
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हम दोनों साथ आये एक कहानी बनी हम अलग हुए तीन कहानियाँ बनी एक तेरी कहानी जो तुझे समझ आयी एक मेरी कहानी जो मुझे समझ आयी और तीसरी एक अनकही कहानी जो बात कर लेते तो दोनों को समझ आ जाती। ~ राजेश तैलंग/ @rajeshtailang
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लोकतंत्र? #WrestlersProtest
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थकन को ओढ़ के बिस्तर में जा के लेट गए हम अपनी क़ब्र–ए–मुक़र्रर में जा के लेट गए तमाम उम्र हम इक दूसरे से लड़ते रहे मगर मरे तो बराबर में जा के लेट गए। ~ मुनव्वर राना
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एक–दिन सब जान ही लेते हैं प्रेम के बिना कोई मर नहीं जाता। ~ कुमार अम्बुज
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कह दो अँधेरे से धूप लौटेगी... 🎑🌄
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प्यार या नफ़रत सिर्फ़ बच्चे करते हैं, बड़े होकर आदमी सिर्फ़ व्यापार करते हैं। ~ कुँवर नारायण
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मैंने पूछा उस गिरगिट से जो झाँक रहा था झुरमुट से साथी, उदास–से दिखते हो क्या कविता–वविता लिखते हो ? ~ केदारनाथ सिंह
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सुख के लम्हे तक पहुँचते–पहुँचते हम उन सब लोगों से जुदा हो जाते हैं, जिनके साथ हमने दुःख झेलकर सुख का स्वप्न देखा था। ~ निर्मल वर्मा
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– विनोद कुमार शुक्ल
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विनम्र श्रद्धांजलि मुनव्वर राना साहब अंतिम प्रणाम।
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मंज़िल की है तलब तो हमें साथ ले चलो वाक़िफ़ हैं ख़ूब राह की बारीकियों से हम। ~ आलोक श्रीवास्तव/ @AalokTweet
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मैं कई बड़े लोगों की निचाई से वाकिफ हूँ बहुत मुश्किल है दुनिया में बड़े होकर बड़ा होना। – कुँवर बेचैन
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