ना कोई ग़ुस्सा,ना कोई कैंडल मार्च,ना संविधान ख़तरे में,ना लोकतंत्र की दुहाई।किशनगंज के थाना प्रभारी अश्विनी कुमार को पश्चिम बंगाल में धर्मस्थल से एलान करके शान्तिधूर्तों की भीड़ ने मार दिया।लेकिन इसे कोई मॉब लिंचिंग नहीं कहेगा,कहेगा तो शायद देश में सेक्युलरिज्म खतरे में आ जाएगा🤔