I am delighted to announce publication of my research article on 'Exclusion of Pasmanda Muslims and Dalit Christians from the SCs Quota'.
It debunks false narratives which have been spread through Rangnath Mirsa Committee Report about Scheduled Castes.
इस समय सुप्रीम कोर्ट में 2 जज SC और 1 जज OBC समुदाय से भी है।
लेकिन जब EWS पर सुनवाई के लिए बेंच बनी तो उनमें से किसी को शामिल नहीं किया गया, और तो और जस्टिस चन्द्रचूड जिन्होंने आरक्षण सिस्टम पर PhD किया उनको भी बेंच का हिस्सा नहीं बनाया गया।
मैं दो बार NDA का SSB इन्टरव्यू में दे चुक��� हूँ। पहली बार भोपाल तो दूसरी बार बंगलौर गया था। तीसरी बार इलाहाबाद में शामिल होना था लेकिन किसी कारणवश नहीं हो पाया था।
उन दिनों इन्टरव्यू शुरू होने के पहले अधिकारी यह पूछते थे कि आपके परिवार से सेना में कोई अफ़सर है।1/2
गुरु रविदास सिखाते है-
'ब्राह्मण मत पूजिए जो होवे गुणहीन, पूजिए चरण चंडाल के जो होने गुण प्रवीन।
उनके बाद आए, तुलसीदास दुबे लिखते हैं-
'पूजहि विप्र सकल गुण हीना, शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा।'
मेरा मानना है कि OBC समाज के लोगों को यह जुर्माना ज़रूर भरना चाहिए, लेकिन 10 लाख रूपये 10 लाख व्यक्तियों से इकट्ठा करके भरना चाहिए।
एक OBC व्यक्ति सिर्फ़ 1 रूपये चन्दा दे।
Breaking News: सुप्रीम कोर्ट के जजों का दिमाग़ ख़राब हो गया है। संविधान के मौलिक अधिकारों के अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में एक अपील आती है कि ओबीसी आरक्षण से जुड़े केस में, चूँकि ओबीसी और सवर्ण पार्टी यानी पक्ष हैं, इसलिए मामले की सुनवाई निष्पक्ष बेंच करे, जिसमें अनुसूचित
जस्टिस बीआर गवई आज जब अपना फ़ैसला पढ़ रहे थे तो उनके चेहरे का भाव उतरा हुआ था।
यह वह जज हैं जिनको बम्बई हाईकोर्ट के तीन सीनियर जजों को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट इसलिए लाया गया था, क्योंकि 2 अप्रैल के प्रोटेस्ट (जिसमें 11 दलित युवाओं की जान चली गयी थी) के बाद सुप्रीम कोर्ट
कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में जस्टिस चन्द्रचूड़ से मैंने पूछा था कि SC/ST Act और Roster पर सुप्रीम कोर्टके फ़ैसले के खिलाफ SC/ST/OBC समुदाय सड़क पर उतर गया था, तो आप कैसे कह सकते हैं कि वंचित समाज का सुप्रीम कोर्ट पर विश्वास है?
उन्होंने जवाब दिया था कि विरोध प्रदर्शन के बाद हमने
जैसे ही लोग
@ajaydevgn
के विमल पान मसाला बेचने पर सवाल खड़ा करने लगे, और माँग करने लगे कि अपने बेटे को पान मसाला खिलाकर दिखाओ, तो अजय देवगन हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा है, का मुद्दा उठा लाया।
राष्ट्रवाद ही इनके कुकर्मों का आख़िरी बचाव है।
21 अगस्त को शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने का BSP का फ़ैसला स्वागत योग्य कदम है। सुश्री मायावती ने साबित किया है कि आरक्षण को बचाने के मुद्दे पर उनकी कोशिश सबसे ईमानदार है। मैंने यह बात कल ही लिँखा था।
बाकी ऐसा करके उन्होंने न केवल अपने विरोधियों को संदेश दिया है बल्कि उनके
सुप्रीम कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट से होते हुए, ज़िला न्यायालयों तक वकीलों का एक नेटवर्क खड़ा करना होगा, जो कि SC/ST के मुक़दमें लड़ सके।
सारा काम पार्टियों और नेताओं के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता है।
Jeetan Ram Manjhi joining Union cabinet is historical development in Indian democracy.
In my knowledge, no one from Mushahar community has reached at this position. His elevation will boost moral confidence of this community.
सोसलिस्ट और बहुजन आन्दोलन की वजह से 1990 आते-आते संसद में दलित-पिछड़ी जातियों की संख्या बढ़ने लगी थी। सरकार में भी इनका प्रभाव बढ़ने लगा था, जिसकी वजह से सवर्ण जातियों में एक डर पैदा हुआ और उन्होंने न्यायपालिका में नियुक्ति अपने हाथ में ले लिया।
‘जय श्रीराम’ के जवाब में ‘अल्लाह-हू-अकबर’ का नारा लगाते हुई लड़की अगर आपको अच्छी लग रही है तो समझ लीजिए कि एक साम्प्रदायिकता से लड़ते हुए आप दूसरी साम्प्रदायिकता की गोद में जाकर बैठ चुके हैं।
साम्प्रदायिक लोग यही चाहते हैं कि दोनों तरफ़ से एक दूसरे के धार्मिक नारे ही लगें।
कौशांबी की जनता से निवेदन रहेगा कि इस बार वह छेदू चमार को चुनाव जितवा दे, जिससे उनकी औकात देखने वाले अफसर को उसकी औकात पता चल जाएगी, जब उसे उठकर सैलूट करना पड़ेगा।
बाकी पार्टियों को भी इनका समर्थन करना चाहिए।
छेद्दू चमार एक मजदूर हैं, गरीब हैं, एससी समुदाय से आते हैं। इसीलिए तो CO सत्येंद्र तिवारी उनकी औकात नाप रहा था। अगर वह ब्राह्मण होते या बीजेपी से होते तो यही अफसर "नमस्ते सर, नमस्ते सर" कर रहा होता।
सवाल-SC/ST के विभाजन पर सुप्रीम का फैसला बदलने के लिए आगे क्या करना होगा?
जवाब- संसद से अनुच्छेद-341 और 342 में संसोधन कराके एक-एक लाइन जोड़वाना होगा कि SCs/STs की लिस्ट में शामिल जातियों को Homogeneous माना जाएगा।
याद रखिए इस काम के लिए संविधान संसोधन कराना पड़ेगा, न कि
हाथरस का DM कन्फ्यू हो गया है।
जिस परिवार के पास घर, पैसा, नौकरी नहीं है।
वह परिवार 25 लाख रूपये, नौकरी और मकान का लालच देने पर भी नहीं झुका।
काश! DM को आत्मसम्मान की परिभाषा पता ह���ती।
कल सुप्रीम कोर्ट का अनुसूचित जाति को विभाजन पर फ़ैसला आएगा। जिस तरह से इस मामले की सुनवाई हुई है, उससे मुझे लगता है कि इस मामले में कोर्ट पक्ष में फ़ैसला सुनाएगी।
विरोध न हो, इसलिए हो सकता है कि यह फ़ैसला जस्टिस बी आर गवई से लिखवाया जाए, क्योंकि वह अनुसूचित जाति से हैं।
सुप्रीम कोर्ट के पास संविधान निर्माताओं ने Judicial Review की पॉवर दिया था, जिसका उपयोग करके उसे संसद द्वारा पारित किए गए क़ानूनों की संवैधानिकता को तय करना था।
सुप्रीम कोर्ट ने Judicial Review की पावर को Constitutional Review में बदल लिया है। अब वह संविधान सभा तय किए गए
विपक्ष दलितों को मुस्लिम मतदाताओं जैसा बना देना चाहता है?
चुनाव में लगातार जो नकारात्मक प्रचार किया जा रहा है कि लोकतंत्र खतरे में हैं, फासीवाद आ जाएगा, आरक्षण खतम हो जाएगा, मनुस्मृति लागू हो जाएगी, इससे दलित समाज के मतदाताओं में डर और भय फैलाने की कोशिश की जा रही है, जिससे
जातिगत भेदभाव-
प्राइवेट नौकरियों में नाम के आधार पर कैसे जातिगत भेदभाव होता है इसको प्रो सुखदेव थोराट और प्रो पॉल ओटेवल ने इस रिसर्च पेपर में साबित किया है?
इन्होंने इंग्लिश अख़बारों में जो भी विज्ञप्ति निकलती उसके हेतु एक समान डिग्री की CV भेजा बस जातिगत सरनेम बदल दिया।
दलित
यह ट्वीट एक व्यक्ति के खिलाफ नहीं है बल्कि एक ख़ास मानसिकता बताता है, जिसके तहत पिछले दो दशक से यह नैरेटिव चलाया जा रहा था कि 'मुसलमानों की स्थिति दलितों से भी ख़राब है'।
दरअसल भारत में लोग केवल उच्च जातियों से अपनी स्थिति तय नहीं करते बल्कि समाज के निचले पायदान से तुलना करते
NDTV सिर्फ चैनल भर नहीं था, बल्कि पत्रकारिता का एक स्कूल था। उसने राजदीप सरदेसाई, अर्नब गोस्वामी से लेकर रवीश कुमार तक न जाने कितने लोगों को अपने यहाँ अवसर देकर आगे बढ़ाया?
लेकिन इस लिस्ट में SC/ST गायब थे।
Today our friend advocate
@nitinmeshram_
argued in front of the constitutional bench of the Supreme Court in the matter of sub classification of SC/ST reservation. Though he was given very brief time but the argument which he has tried to make has potential to change the
I am excited to share the news that I have joined as Lecturer in the Department of Law and Criminology (
@RHUL_Law
),
@RoyalHolloway
, University of London for this academic year.
It is biggest honor of my life to serve this greatest institution.
Thanks
@ProfRaviBarn
and
सुश्री मायावती ने सुप्रीम कोर्ट में ST समुदाय से अब तक एक मात्र जज रहे Justice H. K. Sema को 2008 में उत्तर प्रदेश राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष बनाया था। वह इस पद पर 2013 तक रहे थे।
तब मुलायम सिंह यादव ने जस्टिस सेमा की नियुक्ति की विरोध किया था। 1/n
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस निर्णय से संविधान बदल दिया। संविधान में बदलाव अब संसद के माध्यम से नहीं हो रहा है, बल्कि न्याय पालिका के माध्यम से किया जा रहा है।
भारत में देवनागरी (नागरी) लिपि का विकास पाली भाषा की ब्राम्ही लिपि से कैसे हुआ है, इसको डॉ साकेत वर्धन बौद्ध (Prof. R. K. Saket) की किताब- देउर कोठार से समझ सकते हैं।
SC-ST श्रेणियों को सब-कैटेगरी में रिजर्वेशन वाले मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) पक्षधर नहीं है।पार्टी के संस्थापक पद्म भूषण श्रद्धेय रामविलास पासवान जी भी इस बात की मांग करते आएं की जब तक समाज में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के खिलाफ
मुझे इस बात की ख़ुशी है कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद आप से तीन बार मींटिंग हुई। मेरे अनुरोध पर आप JNU के एक कमरे में तमाम प्रोफ़ेसरों के साथ बैठकर उनके हर सवाल का बेबाक़ी से जवाब देकर मेरा मान रख दिए थे।
तब की तरह आपसे बस एक अनुरोध रहेगा। आप सरकार में रहते हुए कुछ मत करिए,
आजकल ब्रिटेन में अम्बेडकर के नाम पर ढेर सारे संगठन बन रहे हैं, लेकिन कल बाबासाहब के परिनिर्वाण दिवस पर ऐसे संगठन वाले श्रद्धा सुमन तक अर्पित करने नहीं आए।
केवल एक पुराने संगठन के लोग पहुँचे थे।
ख़ैर हम लोग थे वहाँ।
क्या आप जानते हैं कि प्रसिद्ध चीनी यात्री भिखु ह्वेनसॉन्ग ने अपने यात्रा विवरण में भारत का नाम YINDU बताया है, जिसका मतलब चंद्रमा भी होता है?
ह्वेनसॉन्ग 7वीं सदी में बौद्ध धम्म की पढ़ाई करने भारत आए थे, जब उत्तर भारत में कन्नौज के राज्य हर्षवर्धन का शासन था उन्होंने नालंदा
05 किलो राशन देकर 05 कुन्तल की फसल को जानवरों से चराकर
@myogiadityanath
सरकार नुक़सान पहुँचवा रही है।
अवध क्षेत्र में गायी जानी वाली लोकगीत गारी (गाली) के माध्यम से यह गायक पूछ रहा है कि योगी बाबा किस मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे?
क़ानून नहीं मायने रखता, जज मायने रखता है। यह बात आप लोगों ने दिल्ली में हुए दंगो की सुनवायी में देख ही लिया। इसीलिए मैं कहता हूँ कि उच्च न्यायपालिका में सभी समाजों का प्रतिनिधित्व होना ज़रूरी है।
BSP के रामजी गौतम और ASP के चन्द्र शेखर, दोनों ने 21 अगस्त के भारत बन्द के बारे में एक बात कॉमन कही है कि इसे समाज ने बुलाया है। हम इसका समर���थन करते हैं।
यह सोच बहुत अच्छी है।
हिजाब/नकाब के बचाव में आधे लिबरल घूँघट का उदाहरण दे रहे हैं। एक से मैंने पूछा कि कितनी छात्राओं को घूँघट में स्कूल/कालेज जाते देखा है? घूँघट एक समाप्त होती हुई तो हिजाब बढ़ती हुई परंपरा है। उनके पास कोई जवाब नहीं है।
धर्म की स्वतंत्रता और धर्म की कट्टरता में फर्क भूल चुके है.
Travelling Delhi after spending more than 2 years in London.
Excited to see friends and well wishers in Delhi, Lucknow, Varanasi, Ayodhya and Ambedkar Nagar.
हेमन्त सोरेन जब अपनी गिरफ़्तारी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गए तो उनको कोर्ट ने कहा हाईकोर्ट जाइए। वह हाईकोर्ट गए तो वहाँ के जज ने सुनवाई पूरी करके फ़ैसला सुरक्षित कर लिया। अब वह फ़ैसला कब देगा उसकी मर्ज़ी।
इस बीच उसी सुप्रीम कोर्ट से अरविन्द केजरीवाल को ज़मानत हो गयी है।
दोनों
जिस समय सुप्रीम कोर्ट में अनुसूचित जाति के आरक्षण में विभाजन पर 7 सदस्यीय संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही है, उस समय इस समुदाय के नेतृत्व का दंभ भरने वाले नेताओं (मायावती, वामन मेश्राम, चन्द्रशेखर, प्रकाश अम्बेडकर) की प्रोफ़ाइल चेक करिए-
1) मायावती- कोई प्रतिक्रिया नहीं जबकि इनकी
जब SC/ST की सूची पहली बार बनी तो उसमें शामिल यूपी की कुछ जातियों ने यह कहते हुए विरोध किया कि उनकी स्थिति तो चमारों, पासियों से बेहतर है, इसलिए उन्हें बाहर किया जाए।अंग्रेज सरकार ने उनको SC से बाहर कर दिया।
1980 आते-आते ऐसी जातियाँ फिर से SC में शामिल करने की माँग करने लगी।1/3
मायावती और चन्द्रशेखर की कार्यशैली में अंतर क्या है?
मायावती की राजनीति में दलित और उनके मुद्दे सबसे प्रमुख है। इसको इससे समझिए कि जिस दिन से सुप्रीम कोर्ट का जजमेन्ट आया है, उन्होंने इसको सबसे ज़्यादा प्रमुखता से उठाया। उनकी प्रेस कांफ्रेंस में जब एक पत्रकार ने उनसे जया बच्चन
कल के प्रदर्शन में ज्ञापन सिर्फ राष्ट्रपति के नाम मत दीजिए बल्कि भारत के मुख्य न्यायाधीश के नाम भी दीजिए।
उनको लिखिए कि आज़ादी के बाद से सुप्रीम कोर्ट ने कैसे एक के बाद एक आरक्षण विरोधी निर्णय दिए हैं, सबको पलटे? बताइए कि उनकी मदमाशी अब आप समझ गए हैं।
कहार, कुम्हार, बढ़ई, नाई, जुलाहा, शाक्य, सैनी, मौर्या, कुशवाहा, भर, राजभर, निषाद, मल्लाह, काछी, कोयरी, लोनिया आदि OBC जातियों के आरक्षण के खिलाफ हैं
@tavleen_singh
।
इनके हिसाब से इन जातियों ने कभी भेदभाव नहीं झेला है। इन जातियों के लोग IAS, IPS, Judge, Doctor, Engineer,
जातिगत अत्याचारों/भेदभावों के मामले में यह जरूरी है कि दूसरी जाति पर सवाल उठाने से पहले अपनी जाति द्वारा किए जा रहे अत्याचार//भेदभाव पर आवाज उठाई जाए।
इस मामले में कवि रामनाथ सिंह उर्फ अदम गोण्डवी सबके लिए प्रेरणा हो सकते हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने रेप की एक
जस्टिस दीपांकर दत्ता सुप्रीम कोर्ट के जज बने। इनके पिता जस्टिस सलिल कुमार दत्ता कलकत्ता हाईकोर्ट के जज थे। इनके जीजा जस्टिस अमिताभ रॉय सुप्रीम कोर्ट में जज थे।
कलेजियम की वजह से देश के 100-200 परिवार एक दूसरे को हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का जज बना रहे हैं।
लेटरल इन्ट्री के पदों पर आरक्षण लागू नहीं करने का फ़ार्मूला कैसे निकला?
दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई जजमेन्ट में सबसे पहले यह कहा कि मेडिकल के सुपर स्पेशियलिटी कोर्स में आरक्षण नहीं लागू होगा। लेकिन क्यों नहीं लागू होगा इसके लिए सिर्फ़ मेरिट का तर्क था जो कि कमजोर था? इसलिए
मुलायम सिंह यादव, मायावती, लालू प्रसाद यादव, ओम प्रकाश चौटाला ने अपने-2 शासनकाल में दलित और पिछड़े समुदाय के वकीलों को राज्य में महाधिवक्ता और अतिरिक्त महाधिवक्ता नहीं बनाए। अगर यह काम किए होते, तो आज उत्तर भारत के हाईकोर्टों में हमें विविधता दिखायी देती। यही गलती
@HemantSorenJMM
कांग्रेस पार्टी ने दलित समाज के वोटरों को आकर्षित करने के लिए दो नैरेटिव चलाया है- (1) संविधान ख़तरे में है, (2) आरक्षण ख़तरे में है।
इस नैरेटिव को इस समाज में फैलाने के लिए इस समाज के कुछ यूट्यूबर्स वग़ैरह की मीटिंग पार्टी नेताओं ने बंगलोर में लिया था। वैसी ही दूसरी मीटिंग
भारत सरकार के Department of Personal & Training द्वारा 1 जुलाई 1985 को जारी इस आदेश के अनुसार किसी भी भर्ती में SCs/STs से कोई फीस नहीं ली जानी थी। गृह मंत्रालय को इसका प्रचार-प्रसार करना था।
लेकिन यह आदेश ठीक से कभी नहीं लागू हुआ। खासकर यूनिवर्सिटीज और कालेजों में।
जबकि यह
बाबासाहेब अम्बेडकर को बदनाम करने के लिए यह झूठ फैलाया गया कि वह संविधान सभा में मुस्लिम लीग के समर्थन से चुनकर गए थे, जबकि बंगाल विधानसभा के इन सदस्यों के वोट से वह चुने गए थे-
1- जोगेन्द्रनाथ मण्डल
2-द्वारिकानाथ बुराडी
3- गयानाथ विश्वास
4- नागेन्द्र नारायण राय
5- क्षेत्रनाथ
SC/ST आरक्षण के वर्गीकरण के मामले को समझने के लिए मेरा यह लेक्चर सुन सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जजमेन्ट में समस्या कहाँ है यह भी देख सकते है?
YouTube चैनल वाले यह वीडियो अपने यहाँ ज़रूरत के हिसाब से चला सकते है।
SC/ST list यानी अनुसूचित जाति और जनजाति का विभाजन क्यों असंवैधानिक. चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं रॉयल हालोवे लंदन यूनिवर्सिटी के समाजशास्त्र और अपराध विज्ञान के लैक्चरर डॉ.
@arvind_kumar__
सुनिए और शेयर कीजिए. ये कॉपीराइट फ्री वीडियो है. आप इसे अपने यूट्यूब पर डाल सकते हैं.
पटना के अम्बेडकर छात्रावास से यादवों ने गोली चलायी जिसमें तीन दलित छात्रों को गोली लग गयी है। अभी तक सबकी गिरफ़्तारी नहीं हुई है।
चूँकि अब
@yadavtejashwi
की सरकार बन गयी है तो यादवों की गुण्डागर्दी शुरू हो गयी।
जाति जनगणना अब होकर रहेगी। बिना जाति के कॉलम के अगली जनगणना नहीं होगी। सरकार इसको जितना टालेगी, उतना ही विवाद बढ़ेगा।
इस मुद्दे में SC/ST के लिए कुछ नहीं है। इस समुदाय को अगर तेज़ी से तरक़्क़ी करनी है तो Technology, Medicine, Business और शहर की तरफ़ और तेज़ी से बढ़ना होगा।
बाबासाहब अम्बेडकर के बनाए संविधान में SC/ST के रिज़र्वेशन में क्रीमी लेयर का प्रावधान नहीं था, इसलिए इसे
@narendramodi
सरकार इसे नहीं लागू करेगी। ऐसा कल
@AshwiniVaishnaw
ने बताया।
लेकिन बाबासाहब के बनाए संविधान में तो वर्गीकरण/विभाजन की भी बात नहीं थी।
सरकार इस चुप क्यों है?
चौंकिएगा मत-
पिछले 10 साल से कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में हर केस में भारत सरकार के अटार्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल के खिलाफ दलील दिया है।
SC/ST आरक्षण के विभाजन के केस में वह भारत सरकार के पक्ष में बहस कर रहे हैं।
क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के पहले आरक्षण विरोधी फ़ैसले (चम्पकम दुरईराजन) की आलोचना खुद बाबासाहब अम्बेडकर ने कानून मन्त्री रहते हुए किया था?
उन्होंने कहा था कि जजों ने संविधान के प्रावधानों को ग़लत तरीक़े से पढ़ा है और उसकी व्याख्या किया है।
ये वही दौर है जब लोहिया और उनके चेलों ने उत्तर भारत में अंग्रेज विरोध और हिन्दी समर्थन का आंदोलन चलाया था। इसका परिणाम यह हुआ कि उत्तर प्रदेश/भारत के लोग इसी क्षेत्र में रह गए, जबकि तमिलनाडु समेत दक्षिण भारत के राज्यों के लोग बड़ी संख्या में विदेश चले गए।
1967 तक यूपी और तमिलनाडु की प्रति व्यक्ति आय समान थी। फिर ऐसा क्या हुआ कि अब तमिलनाडु की प्रति व्यक्ति आय यूपी से लगभग चार गुना हो गई? वजह है शिक्षा और स्वास्थ्य पर ज़ोर, सामाजिक न्याय, वंचित जातियों में मिडिल क्लास का उदय, शहरीकरण और औद्योगीकरण।
#DravidianModel
हेमन्त सोरेन को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि पहले हाईकोर्ट जाइए। अब देखना यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट अरविन्द केजरीवाल के मामले में यही रूख अपनाता है?
दोनों ही मुख्यमंत्री रहे, दोनों को ED ने गिरफ़्तार किया है।
जातिवादी- 70 साल से भारत आरक्षण की वजह से पिछड़ता जा रहा है।
अम्बेडकरवादी/राष्ट्रवादी- लेकिन 70 साल में तो भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन गया। यह सब संविधान और संविधान प्रदत्त आरक्षण के रहते ही हो पाया।
पश्चिम बंगाल में दलित समाज की महिलाओं के साथ रेप की ऐसी खबरें आ रहीं है कि रूह काँप जाए।
इसमें सबसे ख़तरनाक पहलू है कि इस अन्याय को BJP का षड्यंत्र बता कर इसकी गम्भीरता को कम करने की कोशिश करना। हाथरस मामले में TMC अपना प्रतिनिधि मण्डल भेजी थी। इस मामले में वह किसी को गाँव में
OBC आरक्षण 1993 में लागू हुआ, लेकिन इस आरक्षण पर फ़ैसला लिखते समय मी लार्ड लोगों ने यह भी आदेश पारित कर दिया कि प्रमोशन में आरक्षण नहीं होगा। परिणाम यह हुआ कि SC/ST को प्रमोशन में मिलने वाला आरक्षण समाप्त हो गया, और इस समुदाय के अधिकारी टॉप पोजिशन पर पहुँचना कम हो गए। तब से
आरक्षण पर पब्लिक बहस आगे रोचक होने वाली है।
आरक्षण विरोधी अगर SC/ST/OBC को मुफ़्तख़ोर बोलेंगे, तो वह भी पलटकर उनको सुदामा कोटा, दरिद्र कोटा वाला बोलेंगे।
कम नम्बर पाकर डॉक्टर, इंजीनियर बने EWS वालों का उदाहरण मेरिट के तर्क की हवा निकालने के लिए होगा।
राहुल गाँधी ने भारत बन्द पर कोई ट्वीट क्यों नहीं किया?
SC आरक्षण के वर्गीकरण की शुरूआत कांग्रेस ने 1975 में पंजाब में इसलिए कराई क्योंकि उसे अकाली पार्टी से दलित वोट को अपनी तरफ़ लाना था। अतः बाल्मिकी और मज़हबी सिख को SC आरक्षण की 50% सीट पर वरीयता का प्रावधान किया...
सुप्रीम कोर्ट के SC/ST में आरक्षण पर विभाजन को समाप्त करने के लिए संविधान के अनुच्छेद 16, 341 और 342 में संसोधन करना होगा। यह काम संविधान संसोधन से ही संभव होगा। यह काम अध्यादेश से सम्भव नहीं है।
अध्यादेश से संविधान संसोधन नहीं होता है, सिर्फ़ साधारण क़ानून बनता है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 69 हज़ार शिक्षक भर्ती की पूरी सूची को ही निरस्त कर दिया है, क्योंकि इसमें आरक्षण नियम का पालन नहीं हुआ था। योगी सरकार को लगता था कि ऐसा करके वह आसानी से सीटों की बंदरबाँट कर सकती है, लेकिन चुनाव परिणाम से सरकार का पुर्ज़ा-2 हिल गया है।
आप जानना चाहते होंगे कि संयुक्त सचिव, डायरेक्टर आदि पदों पर जो बिना आरक्षण नियम लागू किए ही लैटरल इन्ट्री से भर्ती लायी गयी है, उसको आप सुप्रीम कोर्ट में क्यों चैलेंज नहीं कर सकते हैं? अगर करेंगे भी तो आपको राहत नहीं मिलेगी। कारण यह है कि कोर्ट ने निर्णय दिया है कि आरक्षण आपका
राहुल गांधी ने बात दलित समाज से मिस इण्डिया की बात चलायी है तो इस समाज से आने वाली एक्ट्रेस अर्चना गौतम की याद दिला देता हूँ, जोकि कांग्रेस नेता थी।
उन्होंने राहुल का भाषण लिखने वाले संदीप सिंह, जोकि अब प्रियंका के पीए है, पर पार्टी ऑफिस के सामने मारपीट कराने का आरोप लगाया था..
रवीश कुमार बहुत महीन तरीक़े से कुछ व्यक्तियों को आप पर थोप देते हैं। मसलन वह अपनी जाति के हिन्दी के प्रोफ़ेसर को भी चुनाव विशेषज्ञ बताकर अपने चैनल पर बैठा बैठाकर जनता के दिमाग़ में भर देते थे कि यह चुनाव विशेषज्ञ है।
ऐसे ही वह संविधान विशेषज्ञ के मामले में भी किए हैं।
किसकी गोली से लड़के की मौत हुई?
तहरीर क्या दी गयी है उसे सार्वजनिक करिए, ताकि यह पता चल सके कि वादी ने किस पर आरोप लगाया है?
अगर आरोप पुलिस पर है तो उसकी न्यायिक जाँच होनी चाहिए।
Did you know that the Congress-led Karnataka government is diverting funds from Scheduled Caste Sub-Plan and Scheduled Tribe Sub-Plan (SCSP-TSP) to fulfill its guarantees?
₹14,730 crore from the funds meant for SCs and STs is to used for the five guarantee schemes promised by
शाहरुख़ खान, अनुपम खेर को दिए अपने एक इन्टरव्यू में कहते हैं कि ‘मैं जहाँ से आया हूँ वहाँ हमारे घर में दाल के अन्दर एक्ट्रा पानी डाला जाता था ताकी हम 4 घर वाले खाना खा लें’।
आपको बताते चलें कि इनके नाना सरकारी इंजीनियर थे।अम्मी जज थी, और इंदिरा गांधी की दोस्त थी।
अनुसूचित जाति को लेकर एक झूठ यह फैलाया गया है कि इसमें 1956 में सिखों का शामिल किया गया। जबकि सच यह है कि सिखों को 1950 के ही आर्डर में शामिल किया गया था, जिसको लेकर संविधान सभा ने तय किया था। वह आर्डर पढ़ लीजिए।
यह झूठ
@IndianExpress
@the_hindu
जैसे अख़बारों ने छापा है। 1/2
हे प्रभु,
आप लोग हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जज की नियुक्ति के लिए अप्लीकेशन क्यों नहीं माँगते? ऐसा करने से संविधान के अनुच्छेद 16 में दी गयी अवसर की समानता का सिधांत भी लागू होता।
President Droupadi Murmu referred to excessive cost of litigation as a major impediment in delivery of justice. She urged the executive, judiciary and legislature to evolve an effective dispute resolution mechanism to mitigate the people’s plight.
इन कांग्रेसियों को ऐसे ही लगता है कि वंचित समाज को आरक्षण इनकी पार्टी ने दिया है। इसलिए इनके जैसे लोग चाहते हैं कि सभी लोग गाँधी-नेहरू परिवार की ग़ुलामी करें।
जबकि वंचित वर्ग का आरक्षण शाहूजी महाराज से शुरू होकर सेपरेट एलेक्टोरेट, पूना पैक्ट, संविधान सभा में इन समाज के
कॉंग्रेस के दिये हुये आरक्षण के दम पर ये लोग यहाँ पहुंचें है
आज चंद पैसो मे उस संघ/बीजेपी का समर्थन कर रहे है जिसने पिछले 10 साल मे सबसे ज्यादा अत्याचार दलित पर किया है
@nitinmeshram_
@arvind_kumar__
लन्दन में पिछले 3 दिन से ग्लोबल अम्बेडकरवादी कन्वेंशन हुआ। भारत की मुख्य धारा की मीडिया में तो यह खबर ग़ायब ही है, दलितों की भी मीडिया में यह खबर नहीं दिखी।
कृमिलेयर, वर्गीकरण, NFS, लर्ट्रल एंट्री जैसे तमाम हथकंडे आरक्षण ख़त्म करने के लिये अपनाया जाता है।
UPSC ने लैटरल एंट्री के ज़रिए सीधे 45 संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर की नौकरियां निकाली है लेकिन इनमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
ये अधिकारी आगे चलकर भारत की नीतियाँ
Today I was travelling from Prayagraj/Allahabad to Ambedkar Nagar.
At every one km, I found possession on Babasaheb Ambedkar's Jayanti. It has become festival.
उर्मिलेश सरेआम झूठ बोल रहे हैं। इनको BSP के बारे कुछ पता नहीं है। सरकार बदलने पर जब राज्यसभा टीवी से इनकी नौकरी चली गयी थी तो बामसेफ वाले इनको 'यादव' समाज से होने की वजह से एक कार्यक्रम में बुलाए थे। मैं सुनकर हैरान था कि इनको इस पार्टी के बारे में सामान्य जानकारी भी नहीं थी। कुछ
पार्टी के अंदर से भरोसेमंद खबर है. BSP सुप्रीमो अपने भतीजे आकाश आनंद को ‘राजनीतिक रूप से इतना प्रौढ़’ बनाना चाहती हैं कि वह सत्ताधारी BJP, ख़ासतौर पर CM-PM जैसे बड़े पदों पर बैठे ताकतवर नेताओं का नाम लेकर सरकार की आलोचना करना बंद कर दें!
1- अदिति सिंह (IAS)
2- नेहा पांडेय (IPS)
3- पुष्पांजलि सिंह (IPS)
इन 03 अधिकारियों की मिलीभगत और लापरवाही की वजह से उन्नाव में विधायक कुलदीप सिंह ने एक लड़की का रेप किया था, और उसके पिता समेत अनेक परिजनों की हत्या करवा दिया था।
CBI ने इन पर कार्रवाई करने की सिफ़ारिश किया है।
'जय भीम, जय भारत'- ओरिजिनल नारा यह था।
जब से मैने होश संभाला यही नारा चलता था, लेकिन मेरे सामने इसमें से 'जय भारत' को हटाने की विभिन्न समुदायों/विचारधाराओं के द्वारा कोशिस हुई है। एक बार सचेत किया था तो कुछ लोग नाराज हो रहे थे। कह रहे थे कि इसके साथ छेड़छाड़ की अनुमति दी जानी
SP Singh Baghel फ़र्ज़ जाति प्रमाणपत्र बनवाकर आगरा से सांसद बन गए।उनके जाति प्रमाणपत्र की सुनवाई अभी भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में चल रही है, कोर्ट उनको तारीख़ पर तारीख़ दे रहा है। इस बीच उनका कार्यकाल भी समाप्त हो गया। वह मोदी सरकार में क़ानून राज्यमन्त्री भी रहे।
Dheerubhai Ambani International Public School-जहां अमिताभ बच्चन की पोती से लेकर शाहरुख खान के बच्चे पढ़ते हैं, वहाँ पढ़ाई न तो भारत सरकार के शिक्षा बोर्ड-CBSE से होती है और न ही महाराष्ट्र के शिक्षा बोर्ड से।
बल्कि वहाँ ब्रिटेन के शिक्षा बोर्ड-IGCSE और Switzerland के शिक्षा
सुप्रीम कोर्ट में SC, ST, OBC आरक्षण के वर्गीकरण की सुनवाई हेतु 7 जजों की यह संवैधानिक बेंच बनी है।
इस बेंच के जजों का सामाजिक कम्पोजीशन इस प्रकार है।
1 खत्री, 1 पारसी, 2 कायस्थ, 3 ब्राह्मण।
Chief Justice of India DY Chandrachud-led 7-judge Constitution Bench to hear from January 17 case regarding validity of sub-classification among reserved categories.
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