सभी को राम राम सा
आज तो बारिश ....
धरती पर बारिश की बूंदें गिरी हैं, गूंथ रही हैं एक सुनहरा ख़्वाब।
आज फिर याद आईं हैं कागज़ी वो किश्तियां, पानी का वो सैलाब।
कोई लौटा दे वो बचपन, रविवार, दोस्तों की टोली, वो दिन लाजवाब।
पद, प्रतिष्ठा और पैसे से बेखबर, हम हुआ करते थे मनमौजी नवाब।।