@nitinmeshram_
उन्नीसवीं सदी तक कुम्हार , नाई, धोबी आदि सब जातियां भी जनेऊ पहनते थे, चोटी रखते थे,।
फिर मिशनरीज आईं , मैकाले आया और पश्चिम के विश्वविद्यालयों में भारतीय सभ्यता की बर्बादी की योजनाओं पर काम किया गया आज जातियों में स्वयं को हिंदु न मानने की प्रतिस्पर्धा है,। ये सब मिशनरीज की