एक बार फिर ,
तुहसे बिछड़ के तुझको ही खोजने चले हैं ,
कहीं कोई निशानी तो मिलेगी उन बीते लम्हों की,कितने मासूम से अल्हड़ जज्बातोंसे भरी थी वो,कभी हंसती ,कभी गुनगुनाती कभी खुद मैं खो जाती , कितनी चंचल निगाहें थी वो,दुनिया से बेपरवाह,आज सर्द और खामोश है,कहां गुम हो गई मैं
#तुम_बिन