जब हम अपने मन में किसी से नफ़रत करते हैं तो उसको कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता ,पर हम ख़ुद नकारात्मकता (
#Negativity
) के शिकार हो जाते है ।हमारे शरीर में अनेकों विषैले रसायन उत्पन्न होते हैं जिसके कारण हम शारीरिक और मानसिक रूप से बीमार हो जाते हैं।
रिश्ते निभाना भी एक कला है ।
जिसके ख़याल से ही मुस्कान,ख़ुशी ,सुकून मिलने लगता है ,उस बहुमूल्य व्यक्ति की हमेशा परवाह करें।
पद,पैसा,रुतबा वाले लोगों के पीछे ही हमेशा मत भागिए।
राजनीति के गठबंधन में सब कुछ संभव है,पर परिवार में राजनीति मत घुसने दो। परिवार में भी असली खेला तभी शुरू होता है ,जब लोग सिर्फ़ अपने फ़ायदे की ही सोचने लगते हैं।
वास्तव में हम उतना #दुखी नहीं होते जितना #कल्पना कर के दुखी हो जाते हैं ।दिमाग़ के घोड़े कल्पना में #बदतर स्थिति दिखाते हैं।
ज़्यादा सोचना #ज़हर का काम करता है।
जिस प्रकार गंदा पानी पौधे की वृद्धि को नहीं रोक सकता है ,उसी प्रकार किसी के निरुत्साहित करने या निराशाजनक बातें बोलने से , सफलता के द्वार बंद नहीं होते हैं।
हमेशा #अतीत की यादों में जीने वाले #निराश रहते हैं।#भविष्य की चिंता करने वाले हमेशा #परेशान रहते हैं।
#वर्तमान में जीने वाले #आनंदित और उत्साह से भरे होते हैं।
जीना चाहो अपनी मर्ज़ी से, तो लोग जीने नहीं देंगे।
अपने आप को मानसिक,आर्थिक,शारीरिक रूप से इतना शक्तिशाली बनाओ कि कोई ग़ुलाम बनाने के बारे में सोचे भी नहीं।
#जयश्रीराम
मैंने जीवन में बहुत कुछ बर्दाश्त किया है,क्योंकि मैं लोगों को खोना नहीं चाहता था।
अब मैंने एक सीमारेखा तय कर दी है लोगों के लिए क्योंकि अब मैं ख़ुद को खोना नहीं चाहता हूँ।
(मेरी एक सच्चाई)
#आलोचक दो तरह के मिल जायेंगे एक जो अकेले में हमारी कमी बता कर #सुधारने को कहते हैं ,इनका #स्वागत करिये।दूसरे वो होते हैं जो सबके बीच हमारी कमी का ज़िक्र कर #मज़ाक़ उड़ाते हैं,ऐसे लोगों से #दूरी अच्छी है।
#राजनीति में #निष्ठा जैसी कोई चीज नहीं होती ,राजनीतिक रिश्ते बहुत दिनों तक नहीं निभते हैं ,परिवार में ही घमासान मच जाता है ।गठबंधन बनते बिगड़ते रहते हैं ।व्यक्तिगत स्वार्थ सबसे ऊपर होता है।
राजनीति में सब जायज़ लगता है ,पर अपने #परिवार में राजनीति को घुसने मत दीजिए।
हम ईश्वर को भूल जाते हैं ,नाराज़ हो जाते है कि हमारी सुनी नहीं ,पर वो परमात्मा हमको कभी नहीं भूलता ,हमेशा हमारे साथ रहता है ,मार्ग दिखाता है ,सहायता करता है।