विदेश मंत्री एस जयशंकर बिल्कुल शांत रहते है,फिर अचानक एक देश की यात्रा करते है वहाँ मीडिया के सामने आते है और माइक उठाकर गिनती करके3 लाइन बोलते है और भारत के इतिहास में नए अध्याय जोड़ देते है
एस जयशंकर की ताकत हम में से बहुत लोग समझ नही रहे है लेकिन उनका कद बिल्कुल नरेंद्र मोदी👇
जैसा हो चुका है। उनकी बॉडी लैंग्वेज से बिल्कुल नही लगता कि वे नरेंद्र मोदी से राय भी लेते हो। नरेंद्र मोदी का उन्हें खुला समर्थन है और वे खुलकर चौके छक्के लगा रहे है।
एस जयशंकर को मैं सशक्त विदेश नीति का शिल्पकार कहूंगा। इतना अच्छा काम नरसिम्हा राव और वाजपेयी जी ने भी विदेश
मंत्री रहकर नही किया था।
दरसल इतना सब कहने के पीछे कारण है उनकी अर्जेंटीना यात्रा, एस जयशंकर कुछ दिन पहले अर्जेंटीना में थे उनकी ये यात्रा मील का पत्थर सिद्ध हुई। अर्जेंटीना जल्द ही भारतीय मुद्रा प्रयोग करेगा और तेजस विमान भी खरीदेगा। बदले में उसने लिथियम देने की भी डील की है
ये वो डील है जिसके पीछे शी जिनपिंग तो छोड़िए हु जिंताओ भी लगे हुए थे, चीन के 2 राष्ट्रपति जहाँ पस्त हुए वहाँ यही काम एस जयशंकर ने एक ही चक्कर मे कर दिया। भारत 2025 तक पेट्रोल डीजल का प्रयोग खत्म करना चाहता है और इलेक्ट्रिक वाहन चाहता है जिसके लिये लिथियम की आवश्यकता है।
अर्जेंटीना नेपाल और ज़िम्बाब्वे की तरह भारतीय रुपया प्रयोग करेगा ये भी अच्छी बात है लेकिन तेजस बेचना बहुत बड़ी कार्रवाई है। जबरदस्ती ब्रिटेन से संबंध बिगाड़ने वाली बात हो जाएगी।
दरसल अर्जेंटीना के पास ही कुछ द्वीप है जिन्हें ब्रिटेन फॉकलैंड द्वीप कहता है और अर्जेंटीना मैलविनस
द्वीप। 1982 में जब ब्रिटेन की लोह महिला मार्ग्रेट थैचर प्रधानमंत्री थी तब उन्होंने अर्जेंटीना से युद्ध किया और इन द्वीपो पर कब्जा कर लिया। तब से आज तक ये द्वीप ब्रिटेन के पास है।
मार्ग्रेट थैचर ने पूरी दुनिया को धमकी दी कि यदि किसी ने भी अर्जेंटीना का साथ दिया या उसे हथियार बेचे
तो ब्रिटेन उस पर प्रतिबंध लगा देगा। विमानों से संबंधित विशेष तकनीकी सिर्फ ब्रिटेन के पास है थैचर उन्ही से जुड़े प्रतिबंधों की बात कर रही थी।
वो 1982 था अब2022 है तब से आज तक किसी भी देश ने अर्जेंटीना से रक्षा समझौता नही किया। लेकिन एस जयशंकर ने यह डील भी कर दी और माइक पर फॉकलैंड
द्वीप की जगह मेलविनस द्वीप कह डाला। हालांकि उन्होंने युद्ध की नही बल्कि शांति समझौते की बात कही। समझ नही आता बेकार में ब्रिटेन को भड़काने की जरूरत क्या थी?
इंग्लैंड ने खुद को कश्मीर मुद्दे से दूर रखा हुआ है लेकिन हमने उसकी संप्रभुता को ना सिर्फ ललकारा है बल्कि उसके विरुद्ध तेजस
विमान बेचने की डील भी कर डाली। हालांकि जयशंकर साहब कोई भी काम यू ही नही करते, अब तक ब्रिटेन ने कोई विरोध नही किया है।
ब्रिटेन अब पहले से कमजोर है और पहले ही हजारो समस्या में घिरा है वो फिलहाल विरोध से ज्यादा कुछ नही कर सकेगा। पाठक इस पर अपनी राय अवश्य रखे।
@PRPathak2
जब चीन और तथाकथित विकसित देश अपने हितों से कोई समझौता नहीं करते। मनमाने फैसले करते हैं तो भारत क्यों करे। भारत विशाल देश है जरुरतें ज्यादा है तो फ़ैसले भी उसी हिसाब से लेने होंगे।
@PRPathak2
डरना हि नहीं है क्या ब्रिटिश और क्या चीन जब सभी देश अपनी विदेश नीति अपनी अर्थव्यवस्था के अनुरूप बनाते हैं तो यह अधिकार हमारा भी है यह पिछलग्गू बनने वाली सरकार नहीं है
@PRPathak2
ब्रिटेन को भी मालुम है कि इस बार शेर से पाला पड़ा है क्योंकी वो खालिस्तानियों का बहुत साथ दे रहा है भारत का भगौड़ा माल्या को भारत को सोपने से किसी ना किसी बहाने से फिर रोक लेता है,