@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
मान्यता रही है कि जब भी किसी मंदिर में दर्शन के लिए जाएं । तो दर्शन करने के बाद बाहर आकर मंदिर की पेडी या ऑटले पर थोड़ी देर बैठते हैं । क्या आप जानते हैं इस परंपरा का क्या कारण है?
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Replies

@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
आजकल तो लोग मंदिर की पैड़ी पर बैठकर अपने घर की व्यापार की, राजनीति की चर्चा करते हैं। परंतु यह प्राचीन परंपरा एक विशेष उद्देश्य के लिए बनाई गई थी । वास्तव में मंदिर की पैड़ी पर बैठ कर हमें एक श्लोक बोलना चाहिए।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
यह श्लोक आजकल के लोग भूल गए हैं । आप इस लोक को सुनें और आने वाली पीढ़ी को भी इसे बताएं... यह श्लोक इस प्रकार है
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
अनायासेन मरणम्, बिना देन्येन जीवनम्। देहान्त तव सानिध्यम्, देहि में परमेश्वरम् ।। इस श्लोक का अर्थ है...
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
अनायासेन_मरणम्...... अर्थात बिना तकलीफ के हमारी मृत्यु हो, हम कभी भी बीमार होकर बिस्तर पर न पड़ें, कष्ट उठाकर मृत्यु को प्राप्त ना हों,, चलते फिरते ही मेरे प्राण निकल जाएं।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
बिना_देन्येन_जीवनम्......... अर्थात... परवशता का जीवन ना हो, मतलब कि हमें कभी किसी के सहारे ना पड़े रहना पड़े। जैसे कि लकवा हो जाने पर व्यक्ति दूसरे पर आश्रित हो जाता है, वैसे परवश या बेबस ना हों । ठाकुर जी की कृपा से बिना भीख के ही जीवन बसर हो सके।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
देहांते_तव_सानिध्यम ...अर्थात जब भी मृत्यु हो तब भगवान के सम्मुख हों। जैसे भीष्म पितामह की मृत्यु के समय स्वयं ठाकुर जी उनके सम्मुख जाकर खड़े हो गए। उनके दर्शन करते हुए प्राण निकले ।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
देहि_में_परमेशवरम्..... हे परमेश्वर ऐसा वरदान हमें देना । यह प्रार्थना करनी चाहिए....
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
विशेष: गाड़ी, लाड़ी, लड़का, लड़की, पति, पत्नी, घर ,धन , यह नहीं मांगना है,, यह तो भगवान आप की पात्रता के हिसाब से खुद आपको देते हैं। इसीलिए मंदिर में ईश्वर के दर्शन करने के बाद बैठकर यह प्रार्थना अवश्य करनी चाहिए ।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
यह प्रार्थना है, याचना नहीं है । याचना सांसारिक पदार्थों के लिए होती है,, जैसे कि घर, व्यापार, नौकरी, पुत्र, पुत्री, सांसारिक सुख, धन या अन्य बातों के लिए जो मांग की जाती है वह याचना है, वह भीख है।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
हम प्रार्थना करते हैं.... प्रार्थना का विशेष अर्थ होता है... अर्थात विशिष्ट, श्रेष्ठ । अर्थना अर्थात निवेदन। ठाकुर जी से प्रार्थना करें और प्रार्थना क्या करनी है, यह श्लोक बोलना है।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
सब से जरूरी बात जब हम मंदिर में दर्शन करने जाते हैं, तो खुली आंखों से भगवान को देखना चाहिए, निहारना चाहिए । उनके दर्शन करना चाहिए। कुछ लोग वहां आंखें बंद करके खड़े रहते हैं ।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
आंखें बंद क्यों करना हम तो दर्शन करने आए हैं । भगवान के स्वरूप का, श्री_चरणों का ,मुखारविंद का, श्रंगार का, संपूर्णानंद लें । आंखों में भर लें ईश्वर के स्वरूप को । दर्शन करें और दर्शन के बाद जब बाहर आकर बैठें तब नेत्र बंद करके जो दर्शन किए हैं उस स्वरूप का ध्यान करें ।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
मंदिर में नेत्र नहीं बंद करना। बाहर आने के बाद पैड़ी पर बैठकर जब ठाकुर जी का ध्यान करें तब नेत्र बंद करें और अगर ठाकुर जी का स्वरूप ध्यान में नहीं आए तो दोबारा मंदिर में जाएं और भगवान का दर्शन करें । नेत्रों को बंद करने के पश्चात उपरोक्त श्लोक का पाठ करें।
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@NehaAgarwal_97
Neha Agarwal
8 months
यहीं शास्त्र हैं । यही बड़े बुजुर्गों का कहना है 🙏जय श्रीराम,जय श्रीकृष्ण🙏
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@shukla28
राष्ट्रवादी अरुण शुक्ला
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@NehaAgarwal_97 जय श्री राधे राधे 🙏🚩 सुप्रभात 💐☕
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@rks196
Rakesh Kumar Singh 🇮🇳
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@NehaAgarwal_97 Good information
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@KaptanHindustan
Kaptan Hindustan™
8 months
@NehaAgarwal_97 @NdSolanki सुस्ताना।
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@Dr_Ramesh1
डॉ.रमेश प्रजापति
8 months
@NehaAgarwal_97 जय श्री राधे राधे🙏 क्या आप ने फॉलो बैक न करने की प्रतिज्ञा ले रखी है ।
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@harzeet1973
Harjeet Singh Khalsa 🇮🇳
8 months
@NehaAgarwal_97 मैं यह नहीं जानता था, परंतु जब कभी भी मैं किसी मंदिर में गया हूं, जाने क्यों अंदर से ऐसी भावना आती है कि चलो कुछ देर मंदिर के आहाते में कुछ देर बैठते हैं ।।
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@khushi910123
Khushi...
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